Thursday 24 December 2015

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Happy in Sadness in Hindi Motivatinal Story

Remember that की दुनियाँ Smiling Person के साथ Smile तो कर सकती है But रोते हुए (Crying) Person के साथ रो नहीं सकती है. Smile से भरा Face सबको पसंद आता है. आपकी Smile से Problems के कई “Close Door” Open हो सकते हैं. रोती हुई Face रख कर कर आप किसी को भी Impress नहीं कर सकते हैं. बेशक Life में हजार गम हैं, हजार Problems हैं, लेकिन उनका Face - Off Happiness के साथ भी किया जा सकता है. समाजिक बात-चीत करते समय Smile भरे चेहरे को बहुमूल्य ही समझें. आपके Life में भी ऐसे Smiling Face होंगे, जिनसे मिलते ही आप खिल उठते होंगे. यही होता है हँसमुख व्यक्ति का कमाल. यदि आप संतोष (Satisfaction) के धन को पा लेते हैं, तो आप भी Always Happy रह सकते हैं. निचे लिखी Motivational Story भी यही सन्देश प्रदान करती है:

बहुत समय पहले कि बात है. किसी राज्य में चित्रसेन नाम के राजा थे. राजा चित्रसेन योग्य (Eligible) और गुनी व्यक्तियों का Respect करते थे, पर वे बगैर किसी Reason के ही क्रोधित (Angry) भी हो उठते थे और फिर उन्हें कुछ भी नहीं सूझता था, जो मन में आता वही करते. एक दिन वे किसी गहरी सोच में व्यस्त थे. उन्होंने देखा कि ऐसे दुविधाओं में भी प्रधानमंत्री (Prime Minister) जयभद्र Smile कर रहे थे. उन्होंने Indirectly इसके लिए Alert भी किया, पर जयभद्र के होठों से वह मुस्कान तब भी लुप्त न हो सकी. चित्रसेन के चाटुकार (Spaniel) और जयभद्र के विरोधी दरबारियों के हाथ यह एक अच्छा अवसर लग गया. उन्होंने राजा से कहा , “महाराज जयभद्र को आपने बहुत सिर चढ़ा लिया है. अब उन्हें अपनी Limit का भी कोई ध्यान नहीं है.” चित्रसेन अपने स्वभाव से Helpless थे, उन्होंने जयभद्र को Punished करने के लिए उन्हें Prime Minister Post से हटा कर एक Junior Minister बना दिया. जयभद्र अगले दिन दरबार में आकर Junior Minister की Chair पर बैठ गए. किन्तु चित्रसेन की आशा के विपरीत उस Time भी उनके होठों पर वही मुस्कान दिखाई दे रही थी. चित्रसेन चाटुकारों कि बात सही लगी. उन्होंने उसी समय उन्हें Junior Minister Post से भी हटाकर एक Departmental Officer बनाए जाने का फरमान जारी कर दिया. किन्तु चित्रसेन ने फिर भी जयभद्र के होठों पर वही मुस्कान देखी.

राजा चित्रसेन ने जयभद्र से पूछा तो उन्होंने कहा, “राजन, Respect को मैंने कभी अपना अधिकार नहीं माना. सुख और दुःख को मैं समभाव (Same) रूप से देखता हूँ. आपने मुझे जो Post दिया था वह Public Service के लिए था, उसे मैंने कभी भी अपना नहीं समझा, फिर उसके रहने नहीं रहने से क्या फर्क पड़ता है. मैं तो अपनी नमक-रोटी से Satisfied हूँ. वह मुझे आपकी कृपा (Mercy) से आज भी मुझे मिल रही है, फिर भला मैं क्यों न मुस्कराऊं?” चित्रसेन ने जयभद्र को अपने सिने से लगा लिया और बोले, “जयभद्र मैं Angry Man अवश्य हूँ, पर इतना मुर्ख नहीं हूँ कि चाटुकारों की बातों में आ जाऊं. मैंने जो कुछ भी किया अपनी आँखे खोलने के लिए किया.” जयभद्र को पुनः Prime Minister Post पर सुशोभित कर दिया गया.

लेकिन यह अवश्य है कि दुसरे के दुःख में आप नहीं मुस्करा सकते हैं और तब आपको सांत्वना ही देनी होती है. मुस्कान भरे चेहरे वाले जब तसल्ली देते हैं तो सभी लोग रहत भी महसूस करते हैं. 


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