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Friday, 25 March 2016

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40 Hadees in Hindi

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40 Hadees in Hindi

मैं आज आपके समक्ष कुछ हदीस-ए-नब्वी प्रस्तुत कर रहा हूँ. जो मैंने एक Urdu की किताब से ली है. इस किताब में Hadees-E-Nabvi अरबी से उर्दू में अनुवाद किया हुआ है. मैंने उसे हिंदी में अनुवाद किया है. बहुत से लोग ऐसे भी हैं, जिन्हें हदीस पढ़ने और उस पर अमल करने का शौक तो है पर वे Arbic या Urdu नहीं पढ़ पाने कि वजह से इस से महरूम हो जाते हैं. यानि उन्हें अहादीस की जानकारी नहीं मिल पाती है. इसलिए मैंने कुछ हदीस-ए-नब्वी का अनुवाद Hindi में किया है, जिससे लोगों को पढ़ने में आसानी हो सके और लोग इसे पढ़कर इस पर अमल कर सकें. इन अहादिसों को शांतिपूर्ण ढंग से पढ़ें और इस पर अमल करें तो इंशा-अल्लाह-तआला आपकी जिंदगी चैन-व-सुकून से गुजरेगी. इसे दोस्तों को Share करना न भूलें और सवाब का हक़दार बने.

40 Hadees-E-Nabvi in Hindi: 40 हदीस-ए-नब्वी हिंदी में.

 

Hadees 1.

तुम में बेहतरीन वह है जिनके अख़लाक़ अच्छे हो.
तिरमिज़ी शरीफ़ – 5575

Hadees 2.

जो खामोश रहा उसने नेजात पाई.
तिरमिज़ी शरीफ़ - 2425

Hadees 3.

जो रहम नहीं करता उस पर रहम नहीं किया जाता.
मुस्लिम शरीफ़

Hadees 4.

जो लोगों का शुक्र अदा नहीं करता वह अल्लाह का भी शुक्र अदा नहीं करता.
अबूदाऊद शरीफ़ - 4177

Hadees 5.

मुस्लमान को गाली देना गुनाह है और उससे जंग कुफ्र है.
बुख़ारी शरीफ़ - 46

Hadees 6.

हर भलाई सदका है.
बुख़ारी शरीफ़ - 5562

Hadees 7.

हया सरापा भलाई है.
मुस्लिम शरीफ़ - 54

Hadees 8.

तुम में सबसे बेहतर सख्स वह है जो क़ुरान को सीखे और इस को सिखाए.
बुख़ारी शरीफ़ - 4639

Hadees 9.

अमल का दारो-म-दार नियत पर है.
बुख़ारी शरीफ़

Hadees 10.

फजर की दो रिकअत सुन्नत दुनिया-व-माफ़िहा से बेहतर है.
मुस्लिम शरीफ़ - 1193

Hadees 11.

दुआ इबादत का मग्ज है.
तिरमिज़ी शरीफ़ - 3293

Hadees 12.

बेहतरीन तोशा तक़वा है.
बुख़ारी शरीफ़ - 1426

Hadees 13.

सुनी हुई बात देखी हुई बात की तरह नहीं होती.
मुसनद-अहमद शरीफ़ - 1745

Hadees 14.

मोमिन, मोमिन का आईना है.
अबूदाऊद शरीफ़ - 4272

Hadees 15.

भलाई की राह बतलाने वाले को इतना ही सवाब मिलता है, जितना इस पर चलने वाले को मिलता है.
मुसनद-अहमद शरीफ़ - 21326

Hadees 16.

आग से बचो. चाहे एक खजूर का टुकड़ा ही खैरात करके क्यों न हो.
बुख़ारी शरीफ़ - 1328

Hadees 17.

रोज़ा ढाल है.
बुख़ारी शरीफ़ - 6938

Hadees 18.

जो हम को धोखा दे वो हम में से नहीं है.
मुसनद-अहमद शरीफ़

Hadees 19.

अच्छा गुमान रखना बेहतरीन इबादत है.
अबूदाऊद शरीफ़

Hadees 20.

दुनिया मोमिन के लिए कैद खाना है और काफ़िर के लिए ज़न्नत है.
मुस्लिम शरीफ़ - 5256

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Hadees 21.

अज़ान और इक़ामत के दरमियान दुआ रद्द नहीं होती.
तिरमिज़ी शरीफ़

Hadees 22.

जो चीज कम हो और काफ़ी हो वह इस ज्यादा चीज से बेहतर है, जो आदमी को अल्लाह की याद से गाफ़िल कर दे.
मुसनद-अहमद शरीफ़

Hadees 23.

किसी मुसलमान के लिए यह जायज़ नहीं है कि वह अपने मुसलमान भाई के साथ तीन दिन से ज्यादा कताअ-तआल्लूक रखे.
मुस्लिम शरीफ़ - 4644

Hadees 24.

आदमी का हश्र उस शख्स के साथ होगा, जिस इन्सान से उस को मोहब्बत होगी.
बुख़ारी शरीफ़ - 5702

Hadees 25.

जिस से मशवराह लिया जाए, उसे अमानतदार होना चाहिए.
तिरमिज़ी शरीफ़ - 2747

Hadees 26.

असल तवंगरी दिल की तवंगरी है.
बुख़ारी शरीफ़ - 4956

Hadees 27.

नेक-बख्त वह है, जो दूसरो से इबरत हासिल करे.
मुस्लिम शरीफ़ - 4783

Hadees 28.

ऊपर वाला हाथ नीचे वाले हाथ से बेहतर है.
बुख़ारी शरीफ़ - 1338

Hadees 29.

गुनाहों से तौबा करने वाला ऐसा है गोया के उस ने कोई गुनाह ही नहीं किया.
इब्ने मज़ह - 4240

Hadees 30.

मजलिसों के लिए अमानतदारी जरुरी है.
अबूदाऊद शरीफ़

Hadees 31.

मुस्लमान वह है जिस के हाथ व जुबान से दुसरे मुस्लमान महफूज़ रहे.
बुख़ारी शरीफ़ - 9

Hadees 32.

जो नरमी से महरूम है वह हर भलाई से महरूम है.
मुस्लिम शरीफ़ - 4694

Hadees 33.

जो शख्स अल्लाह के लिए एक मस्जिद बनाएगा अल्लाह उस के लिए ज़न्नत में उस जैसा महल बनाएगा.
मुस्लिम शरीफ़ - 229

Hadees 34.

ज़ुल्म कयामत के दिन अंधेरों का सबब बनेगा.
बुख़ारी शरीफ़ - 2267

Hadees 35.

जो अपने को किसी गुनाह का आर दिलाता है, तो वह उस गुनाह को किए बगैर नहीं मरता.
तिरमिज़ी शरीफ़ - 2429

Hadees 36.

रिश्ता को तोड़ने वाला ज़न्नत में दाखिल नहीं होगा.
बुख़ारी शरीफ़ - 5525

Hadees 37.

चुगली करने वाला ज़न्नत में दाखिल नहीं होगा.
मुस्लिम शरीफ़ - 151

Hadees 38.

तुम में से कोई मोमिन नहीं हो सकता जबतक की वो अपने भाई के लिए वही चीज पसंद करे जो अपने लिए पसंद करता है.
बुख़ारी शरीफ़ - 12

Hadees 39.

टखना के जितना निचे कपड़ा होगा उतना हिस्सा आग में होगा.
बुख़ारी शरीफ़ - 5341

Hadees 40.

जो शख्स दो ठंढे वक्त की नमाज़े फजर और असर पढ़ेगा तो वह ज़न्नत में दाखिल होगा.
बुख़ारी शरीफ़ - 540



Youtube Video:


Note:

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Friday, 25 December 2015

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Debate Against Media In Hindi

Western Electronic Kingdom ने विस्मयकारी (Amazing) पहुँच प्राप्त कर ली है. Globalization ने इसे विचारधारा के मंच पर ज़ोर दिखाने के लिए बहुत सी मांसपेशियां उपलब्ध करा दी हैं. इसने Satellite और Cable तकनीक से Accelerated International पहुँच प्राप्त कर ली है. पशि्चमी और विशेष रूप से Anglo-American Media ने World Online सेवाओं, Radio और Newspaper और Magazines पर प्रभुत्व प्राप्त कर लिया है. Western Electronic साम्राज्यों के विस्तार के साथ Western Media ने Satellite और Cable तकनीक द्वारा International Market प्राप्त कर ली है.

International Television News का बड़ा भाग Western News संगठनों के द्वारा फैलाया जाता है. इसमें Television News Agency जैसे Right Television, The World Wide Television News और A.P.T.V तथा Satellite और Cable आधारित संगठन जैसे CNN., SKY और B.B.C. World सेवा, इन दोनों प्रकार कि सेवाएँ अपनी विभिन्न Languages पर आधारित सेवाओं के साथ विश्व वायु तरंगों पर छायी हुई हैं.

World की चार News Agency: Associated Press, United Press International, Writers और Agency France Press में से पहली तीन American और British agencies हैं और उनमें चारों World News का लगभग 80% उपलब्ध कराती हैं. Worldwide Employees का जाल रखने के बावजूद ये कंपनियां जानबूझ या अनजाने में, पशि्चमी और विशेष रूप से American और British News एजेंडा रखती है.

इसके अतिरिक्त, India के English Language के सभी बड़े Newspaper और समाचार पत्रिकाएँ Syndicate व्यवस्था का लाभ उठाकर लगातार गर्वपूर्वक पशि्चमी समाचार पत्रों और पत्रिकाओं से टिप्पणियाँ और Feature छापते रहते हैं. इस प्रकार Western News Organization पशि्चमी हितों को ध्यान में रखते हुए International News एजेंडा तय करने और उन्हें आयोजित करने में बहुत प्रभावकारी होते हैं. यहाँ तक कि स्थानीय समाचार पत्रों को भी बड़े समाचार बाँटने वालों द्वारा अनुवाद की हुई सामग्री पर भरोसा करना होता है और इस तरह वह घरेलू समाचार के उपभोगताओं तक अपना प्रभाव फैला देते हैं. ऐसा केवल India में ही नहीं हो रहा है. पुरे Developing World को वही सब कुछ देखना पड़ता है जो प्रभुत्वशाली पशि्चम दिखाना चाहता है.

बहुत से Indian Newspaper पशि्चमी मुहावरों, उनकी भाषा, समाचार और मूल्यों को अपनाते हैं और उनकी Copy करते हैं.

इस्लामी आतंकवाद (Islamic Terrorism) कि शब्दावली Western News Media ने गढ़ी है. पशि्चमी हितों के प्रति झुकाव रखने के कारण Indian Media में इसकी गूंज सुनायी पड़ती है. हालाँकि केवल यह कह देना कि इस्लाम Terrorism का न तो प्रचार करता है न बढ़ावा देता है, इसे रोकने के लिए पर्याप्त नहीं. कुछ Terrorist अवश्य Islam के पर्दे में शरण लेते हैं और America की ओर झुकाव रखने वाली Media के लिए एक बहाना उपलब्ध कराते हैं ताकि जिहाद (Jihad) को Terrorism का समानार्थी (Synonyms) बताया जा सके.

फिलिस्तीनी (Palestine) क्षेत्रों पर इस्राइल (Israel) का कब्ज़ा और इस्राइल द्वारा संयुक्त राष्ट्र (United State) के प्रस्तावों का लगातार उल्लंघन और America द्वारा मध्य पूर्व में ऊर्जा के स्रोतों पर अधिकार प्राप्त करने के लिए खुनी खेल कुछ समूहों को हथियार (Weapon) उठाने के लिए प्रेरित करता है. मध्य-पूर्व में होने वाली घटनाओं का समाचार लिखने में Western News Media दोहरे मानदंड अपनाते हैं. इस्राइल द्वारा फिलिस्तीनी क्षेत्रों के कब्जे की अनदेखी की जाती है जबकि फिलिस्तीनी मुसलमानों द्वारा इस हमले का विरोध करना Islamic Terrorism बतलाया जाता है. यह कहने की आवश्यकता नहीं कि विभन्न कौमों द्वारा किए गए अपराधों के बारे में निर्णय करने के लिए समाचार माध्यमों के स्वामी अलग मानदंड रखते हैं.

ये सभी चीजें Islam और Muslim के साथ का शब्द जोड़ने में विशेष हितों कि ओर इशारा करते हैं. आतंकवाद और आतंकवादियों के मामले में इतना अधिक दोहरा मानदंड अपनाने के पीछे कोई न कोई षड्यंत्र अवश्य होगा क्योंकि सिर्फ इस्लाम और मुसलमानों को ही ऐसे Activities को इस्लाम से जोड़ने की आवश्यकता नहीं है जिस प्रकार Sri Lanka के Hindu Terrorists के Activities के लिए हिन्दुओं को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता. लेकिन Media का यह असंतुलन विकसित Western Countries को कुछ ऐसे लोगों पर Terrorist का आरोप लगाने का अधिकार दे देता है जिनके पास Media नहीं है.

Salman Rushdi ने Islam को अपमानित करने का जो प्रयास किया है उससे मुसलमानों को दुःख होता हो लेकिन Western News Media के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बहाने सलमान रुश्दी का बचाव करना आवश्यक है. Western Countries सलमान रुश्दी का बचाव करते हैं, लेकिन Holocaust का इंकार करने पर David Irwin को जेल भेज देते हैं. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की यह कैसी विडंबना है. United States Of America के अन्दर इस्राइल और उनकी नीतियों कि आलोचना करना लगभग असंभव है. इस तरह के प्रयास करने वाले सभी लोगों के विरुद्ध सामवाद Anti Law के अंतर्गत मुकद्दमा चलाया जाता है. इससे एक बात स्पष्ट है कि Western Countries और Western News Media को भी कुछ विश्वासों कि हर कीमत पर रक्षा करनी होती है.


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Thursday, 3 December 2015

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TERRORISM HAS NO RELIGION In Hindi (आतंकवाद)

मुसलमान आतंकवादी नहीं हैं और आतंकवादी मुसलमान नहीं हैं.
World के History में, कौन सबसे ज्यादा मासूम लोगों को मार डाला:-
1) "HITLER"
क्या आपको पता है वह कौन था?
वह एक Christian था, लेकिन Media वालों ने उसे कभी भी Christians Terrorists नहीं कहा.

2) "JOSEPH STALIN” जिन्हें लोग “Uncle Joe" के नाम से भी जानते हैं.

उसने 20 Million निर्दोष लोगों को मार डाला था जिनमे से 14.5 Million लोग भूखे थे.
क्या वह मुसलमान था? बिल्कुल नहीं !!!

3) "MAO TSE TSUNG (China)" 

उसने 14 से 20 Million निर्दोष लोगों को मार डाला था. 
क्या वह मुसलमान था?

4) "BENITO MUSSOLINI (Italy)"

उसने 400 हजार निर्दोष लोगों को मार डाला था.
क्या वह मुसलमान था?

5) " Ashok" 

कलिंग युद्ध में उसने 100 हजार निर्दोष लोगों को मार डाला था.
क्या वह मुसलमान था?

6) George Bush 

उसके द्वारा IRAQ में घाटबंधी (Embargo) डाला गया था उसने अकेले 1/2 Million Children को IRAQ में मार दिया था !!!

कल्पना कीजिए कि इन लोगों को Media द्वारा कभी भी आतंकवादी नहीं बुलाया जाता है.

क्यों???

आज बहुत से गैर-मुसलमानों को "JIHAAD" शब्द सुनने से ही डर लगने लगता हैं. “JIHAAD” एक Arabic Word है, जिसका स्रोत “JAHADA” है. जिसका Meaning प्रयास करना, संघर्ष करना "To Strive" या "To Struggle" बुराई के विरुद्ध न्याय के लिए लड़ना होता है. इसका यह मतलब नहीं होता है कि निर्दोष लोगों कि हत्या कि जाए.

“JIHAAD” को इस तरह भी Defined किया जा सकता है कि " बुराई के साथ नहीं बल्कि बुराई के खिलाफ खड़ा होना ”

अगर आप अभी भी यह सोचते हैं कि Islam ही Problem है? 

तो जरा गौर से पढ़ें:
1. First World War में, 17 Million लोग मारे गये
(गैर-मुस्लिम के कारण).
2. Second World War में, 50 से 55 Million लोग मारे गये
(गैर-मुस्लिम के कारण).
3. NAGASAKI Atomic Bombs (परमाणु बम) धमाके में 2 लाख लोग मारे गये
(गैर-मुस्लिम के कारण).
4. VIETNAM के युद्ध में 5 Million लोगों का कत्लेआम किया गया 
(गैर-मुस्लिम के कारण)
5. BOSNIA/KOSOVO के युद्ध में 5 लाख से अधिक लोग मारे गये 
(गैर-मुस्लिम के कारण)
6. IRAQ में युद्ध: (अब तक) 1 करोड़ 20 लाख लोगों की मृत्यु
(गैर-मुस्लिम के कारण).
7. AFGHANISTAN, IRAQ, PALESTINE, BURMA इत्यादि देशों में बहुत से मासूम लोगों मरे गये जिनकी कोई गिनती नहीं हो सकती है 
(गैर-मुस्लिम के कारण).
8. Cambodia (1975-1979) में लगभग 3 Million लोगों की मृत्यु हुई थी 
(गैर-मुस्लिम के कारण).

किसी भी धर्म को आतंकवाद से जोड़ कर नहीं देखना चाहिए, बल्कि यह कोशिश होनी चाहिए कि Double Standards Killings System को ही हटा दिया जाए.


“कोई मजहब आतंक फ़ैलाने का सबक नहीं सिखाता
मासूमों को मरना, खून बहाने का सबक नहीं सिखाता
हिंदू हो या मुस्लमान, सिख हो या ईसाई, सब अमन चाहते हैं
कोई मजहब आतंक फ़ैलाने का सबक नहीं सिखाता”



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Tuesday, 1 December 2015

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Tipu Sultan एक राष्ट्रप्रेमी Part-2

यह स्पष्ट है कि सच्चाईयों को न देखने वाले इतिहासकार (Historian) एक ऐसी राजनितिक Turf war के व्यापक Situation की अनदेखी कर रहे थे जिसमें friend और enemy की पहचान इस तरह कि जाती थी कि कौन अंग्रेजों के साथ जाता है और कौन साम्राज्यवादी (Imperialistic) अंग्रेज शासकों के चंगुल से स्वतंत्र (Free) रहने के लिए प्रतिबद्ध है. यदि के कुर्गी लोगों और नायरों को दबाने के लिए War आवश्यक था जो Karnataka के नवाबों के Against भी युद्ध लड़े गये जो मुसलमान थे और अंग्रेजों के पिठ्ठू थे. Dr. B. N. Pandey अपनी Book “Aurangzeb And Tipu Sultan: उनकी धार्मिक policies का मुल्यांकन” (Institute of Objective Studies, New Delhi) में लिखते हैं: यदि उसने कूर्ग के हिन्दुओं, मंग्लौर के ईसाईयों और मालाबार के नायरों को कुचला तो यह इस Reality के कारण था कि वे अंग्रेजों के साथ मिलकर Tipu Sultan कि power को कमजोर करना चाहते थे. यदि किसी के अन्दर इस तरह की प्रवृतियाँ महसूस कि चाहे वह मालाबार के मौपिला या महादेवी मुसलमान या सवानूर के नवाब हों या निजाम हैदराबाद हों, उनको भी नहीं बख्शा.

इसलिए Tipu Sultan को चरमपंथी (Extremists) कहना बहुत अधिक गलत है. उनकी कठोरता उन लोगों के प्रति थी जिन्होंने तख्ता पलट करने के लिए अंग्रेजों का साथ दिया, और इस तरह उनकी कठोरता धर्म से Inspired होने के बजाए Politics से Inspired थी.

यदि ऐसा न होता तो Mahatma Gandhi ने Tipu Sultan की प्रशंसा के पुल इस तरह न बंधे होते, “वह हिन्दू-मुस्लिम एकता के प्रतिक थे” (Tipu Sultan was a symbol of Hindu-Muslim unity). History को तोड़ने मरोड़ने का एक प्रमुख मामला Dr. B. N. Pandey ने उठाया जो उस समय Orissa के Governor थे. जब उन्होंने कूर्ग में जनता के नरसंहार (Carnage) का उल्लेख पाया तो उन्होंने Mysore Gazetteer से Reference ढूँढना चाहा.

Dr. Pandey का सामना एक History कि Textbook से हुआ जो Allahabad के Eyglo-Bengali College में पढाई जाती थी जिसमें यह Claim किया गया था कि “तीन हजार ब्राह्मणों ने इसलिए Suicide की कि Tipu Sultan बलपूर्वक उन्हें इस्लाम धर्म में ले लाना चाहते थे. इस पुस्तक के लेखक Kolkata University के संस्कृत विभाग के HOD और बहुत प्रसिद्ध विद्वान Dr. Hari Prasad Shastri थे.

Dr. Pandey ने इस Book के Author Dr. Shastri को तुरंत एक Letter लिखा और पूछा कि ये Example उन्हें जिन Source से मिले हैं उनका Reference दें. कई बार याददिहानी करने के बाद Dr. Shastri ने उत्तर दिया कि उन्होंने यह जानकारी Mysore Gazetteer से प्राप्त किया है. इसलिए Dr. Pandey ने उस समय Mysore University के Vice Chancellor Sir Vijender Nath Seal से अनुरोध किया कि उनके लिए Dr. Shastri के कथन की Gazetteer से Confirm करा दें. Sir Vijender ने उनके Letter को Pro. Srikantyya के पास भेजा जो Gazetteer के नए Edition पर काम कर रहे थे. Srikantyya ने Letter लिखकर बताया कि ऐसी किसी घटना का वर्णन नहीं है और एक Historian के रूप में वह आश्वस्त हैं कि इस तरह की कोई घटना घटित नहीं हुई थी. Pro. Srikantyya ने यह भी कहा कि उस समय Tipu Sultan के Prime Minister और Chief Commander दोनों ब्राह्मण थे. उन्होंने 156 मंदिरों कि एक सूची भी संग्लन की जो Tipu Sultan के राजकोष से Annual Funding प्राप्त किया करते थे. Tipu Sultan द्वारा Donation किये हुए एक शिव-लिंग कि पूजा आज भी नानजंगूड़ मंदिर में की जा रही है. श्री रंगापटनम का रंगनाथ मंदिर Tipu Sultan के Palace से काफी निकट था जहाँ से वह मंदिर के घंटे और मस्जिद कि अजानों को समान सम्मान के साथ सुनते थे. (Impact International, London, point 28, July 1998)

बाद में Research से यह मालूम हुआ कि Shastri ने ब्राह्मणों की Suicide की इस कहानी को Kernel Miles की book History of the Mysore से लिया था जिसमे Miles ने यह Claim किया था कि उन्होंने इस book को एक फारसी पाण्डुलिपि से लिया है जो Queen Victoria कि Personal Library में मौजूद है. जब Dr. Pandey ने इसकी भी जाँच की तो उनको पता चला कि Queen Victoria कि Library में ऐसी कोई पाण्डुलिपि मौजूद नहीं. इसके बावजूद Dr. Shastri कि किताब High School कि History कि Textbook के रूप में सात राज्यों Assam, Bengal, Bihar, Orissa, Uttar Pradesh, Rajasthan और Madhya Pradesh में पढाई जा रही थी. इसलिए उन्होंने इस Textbook के बारे में अपने द्वारा किए गये All Communications को Kolkata University के Vice Chancellor Sir Ashutosh Chowdhry के पास भेजा. Sir Ashutosh ने तुरंत Shastri की किताब को Course से निकालने का आदेश दे दिया. इसके बावजूद कई वर्षों बाद सन् 1972 में Dr. Pandey को यह जानकर आश्चर्य हुआ कि Suicide की यही कहानी अब भी Uttar Pradesh के Junior High School की History की book में पढाई जा रही थी. एक झूठ को History कि सच्चाई के रूप में Approval हो गई.

Tipu Sultan द्वारा मंदिरों को दी जाने वाली जागीरों और उपहारों कि संख्या इतनी है कि उनके विस्तार के लिए कई खण्डों कि आवश्यकता होगी. श्रृंगेरी में स्थित प्रसिद्ध मंदिर के अवशेषों से पिछले दशक के दौरान जो Document प्राप्त हुए हैं वह बताते हैं कि Tipu Sultan को यह जानकर बहुत दुःख हुआ कि पेशवा की सेनाओं ने एक मंदिर पर Attack किया था और उन्होंने उस पवित्र स्थान पर मूर्ति का जीर्णोधार “सल्तनत-ए-खुदादाद” के राजकोष से किया. उन्होंने Tamil Nadu के Kanjivaram में एक मंदिर के निर्माण के लिए 10,000 हून नक़द दिया और जब मंदिर बन कर तैयार हो गया तो उसकी रथ यात्रा में भाग लिया. उन्होंने Milcot के दो Communities के बीच Debate का Solution किया और दोनों Side के लोगों ने उनके Judgment को final decision के रूप में Accept किया. डिंडीगल के एक अभियान के अवसर पर उन्होंने आदेश दिया कि South की ओर से गोली न चलायी जाए इसलिए कि राजा का मंदिर वहाँ स्थित था. प्राचीन कन्नड़ साहित्य Tipu Sultan की प्रशंसाओं से भरा हुआ है और इन प्रशंसाओं का प्रदर्शन सीवी (Karnataka के Bangalore जिले में) में स्थित प्रसिद्ध मंदिर कि छत पर मौजूद लेखों में भी हुआ है. Tipu Sultan की प्रशंसा करने वाले आल्हे आज भी प्राचीन Mysore राज्य के देहाती क्षेत्रों में गाए जाते हैं. यह एक सच्चाई है कि मंदिर की छतों पर लिखे गये लेख इस बहादुर शासक की शहादत के 50 वर्ष बाद लिखे गये थे. इससे इस बात की पुष्टि होती है कि जनता के अन्दर मृत्यु के बहुत बाद भी इस शासक के प्रति कितना आदर-सम्मान था. यदि एक शासक से उनकी हिन्दू प्रजा घृणा करती तो उसे यह सम्मान न मिलता कि जनाज़े के समय खून से लथपथ उसके शव के सामने लोग सजदे कर रहे थे. लेकिन History के विवरण बताते हैं कि जिस समय विजेता ब्रिटिश सैनिक श्रीरंगापटनम में स्थित घरों को लूट रहे थे, उनकी हिन्दू प्रजा उसके महल के सामने उसके शव को शोक और विलाप के बीच सजदा करने के लिए कतार लगाए खड़ी थी. (बिस्टन, 1880 इसका उल्लेख मुहम्मद मुइनुद्दीन ने किया है, सन सेट ऐट श्रीरंगापटनम, Orient Logman, 2000) ऐसी आशा उस प्रजा से नहीं की जा सकती जिसका शासक कट्टर अत्याचारी हो.



                                                        “जो लड़ा था सिपाहियों की तरह

                                                      ऐसा भारत में कोई बादशाह न हुआ

                                                         रूह तो हो गई थी तन से जुदा

                                                          हाथ तलवार से जुदा न हुआ”
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Wednesday, 25 November 2015

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Tipu Sultan एक राष्ट्रप्रेमी Part-1

18 वीं शताब्दी के Mysore के शासक Tipu Sultan के व्यक्तित्वा की आलोचना Prejudiced Historians के द्वारा लगातार की जाती रही है. अक्सर उन्हें अत्याचारी(Persecutors) के रूप में Publicized किया जाता रहा है, और इससे भी अधिक दु:ख की बात यह है कि उन्हें कट्टर मुस्लिम शासक कहा जाता है. यह आलोचना करने के लिए कुछ ऐसी घटनाओं का प्रयोग किया जाता है, जिनमें ऐसे लोगों को सजा दी गई थीं जिन्होंने सामूहिक रूप से Tipu Sultan के विरुद्ध British साम्राज्यवादी शासकों (Governors) का साथ दिया था.

इस तरह का अधिकतर प्रयास उन इतिहासकारों (Historians) के काम का रहा है जो भारत में मुस्लिम शासक का Negative चित्रण (Delineation) करने पर आमादा रहे हैं. इसलिए अपने राजनैतिक (Political) शत्रुओं के विरुद्ध कुछ दण्डात्मक घटनाएँ, कुछ शासकों के इतिहास को सांप्रदायिक बनाने और कुछ ग़ैर मुस्लिम जनता और ग़ैर मुस्लिम शासकों को पीड़ित के रूप में चित्रित करने के लिए आसान हथियार मिल जाता है. इतिहास लेखन में इस तरह की अधिकतर कोशिशों के पीछे British साम्राज्यवादी शासकों कि कृपा रही है जो “ बांटो और राज करो ” की निति पर चल रहे थे, ताकि वे अपनी सत्ता को अधिक दिनों तक जरी रख सकें.

Tipu Sultan और उनके पिता Hyder Ali चित्रण कि इस तरह कि कोशिश के प्रमुख शिकार रहे हैं. British शासक अपने Powerful शत्रुओं के विरुद्ध खुला द्वेष (Hatred) रखते थे, जिन्होंने पहले Mysore War (1767) में, मद्रास (Chennai) में स्थित अंग्रेजों के गढ़ Fort St. Jorge तक पिछा किया था. लेकिन एक धोखापूर्ण संधि न होती तो South में British शासक समाप्त हो जाता. स्पष्ट रूप से इन पराजयों (Defeat) ने अंग्रेजों को अपने द्वेष फ़ैलाने वाले Agenda को अधिक जोश के साथ लागू करने के लिए प्रोत्साहित किया. उन्हें यह प्रयास करने का अवसर भी मिला कि वह एक हिन्दू Majority वाले क्षेत्र की जनता में एक मुस्लिम शासक के प्रति घृणा का प्रचार करने लगे. हालाँकि वह 18 वीं सदी में तुरंत प्रभाव से अपनी इस योजना में सफल नहीं हो सके, लेकिन सांप्रदायिक (Communal ) बना दिए गए. इतिहास की धुंध सदियों तक बुरी तरह छायी रही. सन् 80th के दशक के बाद कुछ भगवा (Saffron) इतिहासकारों के उदय के परिणाम स्वरुप इस तरह कि विभेदकारी व्याख्याओं (Divisive Explanations) के बढ़ते हुए विचारों का उद्देश्य मुख्य धारा कि Media और Textbooks में कुछ शासकों कि छवी को दागदार करना था. Tipu Sultan के संदर्भ में अंतिम दो दशकों के दौरान इस तरह की अधिकतर कोशिशें यदि सफल रही तो इसमें आश्चर्य कि बात नहीं.

आश्चर्यजनक बात यह है कि ऐसी आवाजें उठ रही है जिसमें India के Freedom के लिए जिन लोगों ने युद्ध किया उनमें Tipu Sultan का नाम सम्मिलित करने पर विरोध हो रहा है. Tipu Sultan उन योद्धाओं के बीच सबसे अधिक Powerful थें क्योंकि उन्होंने केवल उपमहाद्वीप (Subcontinent) से अंग्रेजों को निकलने के लिए युद्ध नहीं किया बल्कि अंग्रेजों से इस देश को Independent रखने के लिए अपनी जान भी दे दी. इतना ही नहीं, बल्कि Tipu Sultan इस बात पर Agree रहे कि अंग्रेज अपने पास उनके दो बेटों को तब तक बंधक (Mortgage) के रूप में रखें, जब तक कि सन्धि के प्रयासों के तहत सन् 1793 के Third Mysore War के जुर्माना के तौर पर वह 2.30 करोड़ अदा न कर दे, जिनमें अंग्रेज भरी पड़ गए थे. उन्होंने यह Amount किस्तों में जमा की और मद्रास (Chennai) से अपने बेटों को वापस लाये. चूँकि उनकी प्रजा इस तरह कि क्षतिपूर्ति भरने के लिए Agree रही और अपने राजा के विरुद्ध विद्रोह नहीं किया तो यह उनके प्रति वफ़ादारी (Faithfulness) का स्पष्ट सबूत (Proof) है.

इसमें संदेह नहीं कि Islamic परम्पराएँ Tipu Sultan के लिए महत्वपूर्ण थीं. उनके देश को ‘सल्तनत-ए-खुदादाद’ अथवा ‘अल्लाह द्वारा प्रदान की गयी सरकार’ कहा जाता है. लेकिन इस बात में भी उसी तरह संदेह नहीं होना चाहिए कि वह धार्मिक सह-अस्तित्व में उत्साहपूर्वक विश्वास करने वाले थे और उन्होंने अपनी प्रजा के प्रत्येक व्यक्ति के कल्याण के लिए Struggle किया चाहे वह मुस्लमान हो या हिन्दू या मस्जिद हो या मंदिर. उन्होंने अपने प्रशासन में न केवल हिन्दुओं को भर्ती किया बल्कि कुछ प्रमुख हिन्दुओं को अपने दरबार में High Positions पर रखा. उन्होंने पुरनय्या को अपना दिवान (Minister) नियुक्त किया और कृष्णाराव को वित्तमंत्री (Finance Minister) नियुक्त किया. शमा राव Post और Police के Incharge नियुक्त हुए. श्री निवास राव मद्रास (Chennai) में, अप्पा राव Pune में और मूलचंद्र Delhi में राजदूत (Ambassador) नियुक्त हुए, उनके Personal Attendant सुब्बा राव थे. उनके Trusted लोगों में नायक राव और नायक संगाना थे. उनके Accountant नारनय्या थे और नागप्पय्या कूर्ग के Salar, हरी सिंह सेना की टुकड़ी के Commander थे. शिवाजी उनकी Three Thousand घुड़सवार सेना के Commander थे. इससे स्पष्ट है कि कोई भी राजा, जो अपने से अन्य धर्म के लोगों का दमन करता हो. वह उसी Community के सदस्यों को इतनी बड़ी संख्या में और इस तरह के मुख्य पदों पर नियुक्ति को सहन नहीं कर सकता. 

Tipu Sultan द्वारा मंदिरों को दिए जाने वाले उपहारों को भी विस्तापूर्वक बताया जा सकता है लेकिन यह छोटा-सा लेख इतने विस्तार को सहन नहीं कर सकता. यह कहना पर्याप्त होगा कि Tipu Sultan ने यह काम अपनी धर्मनिरपेक्षता प्रदर्शित करने के लिए नहीं किया था क्योंकि Secularism की धारणाएं अभी तक प्रचलित नहीं हुई थीं और न तो ऐसी धारणाओं के प्रदर्शन कि आवश्यकता थी. यह सब एक शासक द्वारा अपनी प्रजा को खुश रखने कि योजना का अंग था और इसका उद्देश्य यह भी था कि परम्परागत रूप से जिस चीज का उन्होंने प्रण किया था उससे वह विचिलित नहीं होना चाहते थे.


" अपने पैरों पर खड़े रहते हुए मरना,
घुटने टेक कर जीने से कहीं बेहतर है " 



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