Thursday 31 December 2015

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Sanjay Sethi की Success Story (Co-Founder & C.E.O. of Shopclues) in Hindi

आज के युवाओं कि सबसे बड़ी Problem यह है की हम कुछ अलग करने की नहीं सोचते हैं. India में यह बहुत बड़ी समस्या है की आज हमें जो कुछ भी मिल जाता है उस पर ही संतुष्ट हो जाते हैं खुद से कुछ हांसिल करने कि कोशिस नहीं करते. हमारे जीवन में कुछ अलग करने कि ललक है ही नहीं. लेकिन यह बात किसी महापुरुष ने कहा है कि “जिसके जीवन में कुछ अलग करने कि चाह न हो और वह अपनी घिसीपिटी जिंदगी से ही खुश हो तो वह आदमी कभी भी Success के मुकाम को हांसिल नहीं कर सकता.”

आईये हम जानते हैं Sanjay Sethi के बारे में जानते हैं जिन्होंने अपनी जिंदगी में कुछ अलग करते हुए Shopclues जैसी Online Marketing Company की नीव रखी और उसे सफलता की ऊंचाई तक उसे पहुँचाया.

Success Story of Sanjay Sethi (Co-Founder & C.E.O. of Shopclues)

America में बेहतरीन Career छोड़कर Sanjay Sethi India लौटे और अपने चार दोस्तों के साथ शुरु कि अपनी नई Company. महज चार साल के अन्दर Shopclues ने Online Market में बनाई खास जगह.

पढाई कुछ और ही की थी रास्ता कुछ और चुन लिया. और जो रास्ता चुना, उस पर Success की ऐसी Story दर्ज करते गए कि आज उनकी Story सब सुन रहे हैं.

Shopclues के Co-Founder और C.E.O. Sanjay Sethi ने महज चार साल पहले 2011 में इस Online Market – Shopclues की शुरुआत की थी. आज कि भागमभाग भरी जिंदगी में जब किसी के पास Market जाने का वक्त नहीं है, दिन के 24 घंटों में से केवल नींद के समय को छोड़ कर लोग हर समय Mobile और Computer पर Online रहते हैं. ऐसे में बाजार खुद उनके घर आ गया है. Sanjay कहते हैं, “Shopclues अन्य Websites से इसी मायने में अलग है, Shopclues Shopping Mall और बड़ा बाज़ार कि तरह है जहाँ सबके लिए सबकी जरुरत और खरीद क्षमता के मुताबिक सब कुछ मिलता है.”

Uttar Pradesh के शहरों Allahabad, Varanasi, Jhansi और Lucknow में जब Sanjay बड़े हो रहे थे तो Computer और हमारी जिंदगी में इतने तूफानी ढंग से Enter नहीं हुआ था. एक सामान्य Middle Class Family के मेधावी बच्चे कि तरह B.H.U से Mechanical Engineering कि पढाई की और SAIL (Steel Authority of India Limited) में नौकरी करने लगे. लेकिन दिल के अन्दर अगर कोई बेचैनी हो और हमेशा कुछ नया सीखते रहने कि ललक हो तो कोई इन्सान कैसे शांत बैठ सकता है. 1996 में IIT Delhi में पहली बार Computer Science में एक साल का एक Course शुरू किया. Sanjay उसके पहले Batch के Student थे. उन्ही के शदों में, “Computer तब नया-नया आया था. IIT में पढने के बाद मेरी जिंदगी कि दिशा बदल गई. फिर मैंने Mechanical Engineering की तरफ पलट कर नहीं देखा”

इसके बाद Sanjay America चले गए. और 14 साल के लिए वहीँ के हो कर रह गये. California में Ebay में काम करने के दौरान उनके मन में अपना कुछ काम करने का खायाल आया वे कहते हैं, “Ebay तब World का सबसे बड़ा Online Market था, लेकिन वहाँ काम करना बहुत ही Boring हो गया था. Ebay India के Online Market को पकड़ने में भी नाकाम रहा था. ऐसा न होता तो Flipkart, Snapdeal जैसी Companies के जमीन नहीं तैयार होती.

Sanjay को लग रहा था कि Indian Online Market का एक बड़ा सा हिस्स अभी भी अनछुआ है. पर America छोड़ने का फैसला आसन नहीं था. उसके पास America की नागरिकता (Citizenship) थी. Job, Safety, बच्चों का बेहतर Future. India लौटने का मतलब था इन सब को दाव पे लगा देना, लेकिन आखिरकार Sanjay ने कठिन रास्ता चुना.Sanjay ने अपने दोस्तों Sandeep, Radhika Agarwal और Mrinal Chatterjee के साथ मिलकर Gurgaon में महज 800 Sq.Ft. की जगह में अगस्त, 2011 में Shopclues की शुरुआत कि. एक साल बाद January 2012 में जब Shopclues पहली बार Online हुआ तो उनके यहाँ महज 15 लोगों की Team थी. पहले दिन उनके पास 2 Order आए थे. Sanjay उन दिनों की याद करते हैं, “शुरू में तो दिन के 3-4 Order ही आते थे. कई बार तो दिन भर में एक भी Order नहीं होता था”

उस दिन से लेकर आज Shopclues की कहानी कुछ यूँ बदली है कि अब Everyday 80,000 से लेकर 1 Lakh 50 Thousand तक Order आते हैं. महज 20 Merchant से शुरू हुआ सफ़र 3 Lakh Merchant पर पहुँच गया है. Sanjay बताते हैं, “इस साल के अंत तक Merchant की संख्या 5 Lakh से ऊपर हो जाएगी.” कंपनी में 1,000 Employee हैं. सारी Saving लगाकर शुरू की गयी Company इस vittवर्ष के अंत तक 1.2 Billion Rupees की हो जाने की उम्मीद है.

आखिरकार ऐसा क्यूँ है कि जब इतनी संख्या में बड़े खिलाड़ी Online Marketing में दांव आजमा रहे हैं, तब भी Shopclues की Development और Reputation बढती जा रही है. Sanjay ने कहा कि, “उसका कारण है Trust और अपने Customers के साथ एक Emotional Relations.”

वे एक घटना का ज़िक्र करते हैं: “January में Company शुरू हुई थी और February में ठीक Valentine Day के मौके पर हम Problem में फंस गए. हमारे पास 300 Bouquet के Order थे और दुकानवाला आखरी मौके पर भाग गया . हमारी विश्वसनीयता (Reliability) दांव पर लगी थी. आख़िरकार हम खुद भागे-भागे Old Delhi के Market में गये और एक साथ 300 Teddy Bear और Chocolate के Packet खरीद लाये. पूरी रात जागकर उन्हें Pack किया और Customers के सन्देश के और अपने माफीनामे के साथ उन्हें भेजा.” उस दिन को याद करते हुए उनकी आँखें उत्साह से चमकने लगती हैं, “रातोरात Three Hundred Packet तैयार करके Courier किए गये थे.” इस घटना का Positive Effects पड़ा. Social Media पर भी Shopclues के पक्ष में एक माहौल तैयार हुआ. Shopclues ने India में Online Market के स्वरुप को बिल्कुल बदलकर रख दिया. यह इसी कि बदौलत संभव हो सका कि आज एक छोटे शहर के मामूली दुकानदार के लिए भी अपने Products को Online बेचना संभव हो गया है. Sanjay कहते हैं, “हमारा Focus ही Two और Three टियर शहरों पर हैं. महानगरों से ज्यादा बड़ा बाज़ार वहां है. बेचने और खरीदने वाले दोनों. लेकिन ज़रूरत है कि उनकी खरीद क्षमता के मुताबिक Products उन तक पहुंचाने कि.” Shopclues यह काम बखूबी कर रहा है.



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Tuesday 29 December 2015

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The key of Success - Positive Thinking सकारात्मक सोंच In Hindi Motivational Story

Unsuccessful को Success बनाने में Positive Thinking का महत्व ही सबसे ज्यादा होता है. आज लोगों के दिमाग में यह Negative Thinking घर कर जाती है की Success को पाना बहुत ही मुस्किल काम है
लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है अगर आप Positive Thinking के साथ कड़ी मेहनत करें तो Success को पाना बिल्कुल ही आसन हो जायेगा और इतना ही नहीं Success आपके कदम चूमेगी. “यह बिल्कुल भी Important नहीं है कि कल आप क्या थे अथवा आज आप क्या हैं और किस Stage पर हैं. सबसे Important यह है कि आप कल के लिए क्या सोचते हैं और कल क्या बनना चाहते हैं.”

आज के दौर में जहाँ Youngsters के सामने Jobs की Problem Monster का रूप धारण किए हुए खड़ी है, वहां उनका जल्दी ही Disappointed हो जाना तथा उचित Job न मिलने पर Frustration से भर जाना सामान्य सी बातें हैं. इस स्थिति से Self-Confidence, स्वप्रेरणा, Struggle करने की क्षमता, जल्दी Decision लेने की Ability तथा Situations के हिसाब से खुद को ढालने की कला ही छुटकारा दिला सकती हैं, ये गुण छोटे या मामूली Realized हो सकते हैं, परन्तु लोगों को प्रायः यह अहसास नहीं हो पाता है कि उनमें ये गुण कितनी क्षमता (Efficiency) के साथ Present हैं. यदि हम Struggle Efficiency की बात करें तो ऐसे हजारों उदाहरण दिख जाएँगे, जब किसी व्यक्ति ने अत्यंत छोटे स्तर से काम शुरु करके Unlimited Heights हासिल कीं. हर प्राणी में विषम Situations से जूझने की अदम्य Power होती है. जरुरत है खुद को पहचानने की और Life में संघर्ष से भागने के बजाय Positive Thinking पैदा करने की. यदि व्यक्ति अपने जीवन के हर मोड़ पर Positive Thinking रखे तो पता चलेगा कि उसकी आधी से ज्यादा Problems तो खुद-ब-खुद Solved हो गई.

आशंकाओं के साथ किया हुआ कोई भी काम Success नहीं होता, जबकि Good Thinking के साथ किया गया कोई भी प्रयास कभी भी Unsuccessful नहीं होता. World में दो ही प्रकार के लोग हैं, एक वह जो Successful हैं और दुसरे वह जो Unsuccessful हैं. लेकिन आपको यह सोचना चाहिए कि कुछ व्यक्ति Unsuccessful क्यों होते हैं और कुछ लोग Always Successful कैसे हो जाते हैं? इसके पीछे प्रमुख कारण होता है व्यक्ति का नजरिया. काम और जीवन के प्रति व्यक्ति का दृष्टिकोण उसके आगे बढ़ने या पीछे हटने में Effective Role निभाता है. आप किसी काम में कितने भी निपूर्ण क्यों न ह्नों, आपकी योग्यता चाहे जो हो और आपकी रूचि रुझान कुछ भी हो, जो चीज आपकी Success सुनिश्चित करती है, वह है आपका Attitude.

लेकिन हम में से कितने लोग अपने काम को उत्साहपूर्वक कर पाते हैं? बहुत काम. फिर भी हम कहते हैं कि फलां Interview में नहीं चुने गए या Promotion नहीं पा सके. हारने से जीत मिलती हो ऐसा तो नहीं है फिर भी कुछ खोकर कुछ तो प्राप्त किया जा सकता है, यह बात विरोधाभासी लग सकती है, लेकिन है नहीं. हम मनुष्य हैं और थोड़ी बहुत असफलता मिलना आम बात है. कोई भी व्यक्ति अपने सारे कामों में 100% Success नहीं पा सकता.

जीवन में कभी न कभी हर कोई Unsuccessful होता है. दूसरे शब्दों में असफलताओं के Pillars पर ही टिकी होती है Success. विजेता हार-जीत के अपने अनुभावों को Analysis करके अपने लिए Success होने का Formula खोज लेतें हैं. इसके अनुरूप ही वे अपने Behavior और कार्य में सुधर ला पाते हैं. फर्क सिर्फ यह होता है कि एक Winner जब कोई Mistake करता है तो उसे Accept कर लेता है कि हाँ मुझसे गलती हुई और एक Unsuccessful Person कहता है कि यह मेरी गलती नहीं थी.



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Sunday 27 December 2015

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Self-Confidence And Self-Dependent Hindi Motivational Story

जो व्यक्ति Struggle करने से पूर्व ही भैभित हो जाता है, वह संघर्ष को कभी पर नहीं कर सकता. जो व्यक्ति शारीर से कमजोर हो लेकिन जिसके पास पहाड़ कि काया-सा Self-Confidence हो, वह हारी हुई बजी भी जीत लेता है. यही लोग हैं जो Tables Turn करके पूरे World को चौका कर देते हैं. इसी प्रकार Self-dependent Person भी शंका रहित होकर कोई काम करता है तो कभी भी किसी काम में Unsuccessful नहीं होता.

जो व्यक्ति Self-Respect के बल पर आत्मविश्वासी होकर आत्मनिर्भर बन जाते हैं तो वे अहंकारी (Overrated) नहीं कहलाते. John Colhm को Study करते हुए देखकर College के एक Student ने उसका मजाक उड़ाया तो John Colhm ने उससे कहा, “मुझे अपने समय का इस प्रकार उपयोग करने कि आवश्यकता है कि मैं Congress यानि विधानसभा (Assembly) में अच्छी तरह से काम कर सकूँ.” यह सुनकर वह Student और ज़ोर से हंसा. तब John Colhm ने उससे कहा, “क्या तुम मेरी इस बात पर यकीन नहीं कर सकते? Trust Me यदि मुझे यह भरोसा नहीं होता कि तीन साल के अन्दर ही Capital कि ओर से Congress में निर्वाचित (Elected) हो जाऊंगा तो मैं इस College में Admission ही नहीं लेता.” Future में महान बनने वाले व्यक्ति ऐसे शब्द अपनी शक्तियों और अपने Self-Confidence के आधार पर कह जाते हैं. ऐसे व्यक्ति अपनी Ability के मूल्य को समझते हैं और उसी के अनुसार आत्मविश्वास रखना जानते हैं. William Shakespeare ने एक जगह लिखा है, “जो पराश्रित और Hesitation करने वाले व्यक्ति हैं वे आत्मनिर्भर रहने वालों के उदार Ego को नहीं समझ सकते. आत्मनिर्भर व्यक्ति को यह खुशी होती है कि उसमे राजमुकुट (Crown) प्राप्त करने की Power है.

Self-Confidence और आत्मनिर्भता कि जब Collaboration हो जाती है तो व्यक्ति Life के प्रत्येक मोर्चे पर Success ही अर्जित नहीं करता बल्कि अपने Self-Respect और गौरव को भी Harmful होने से बचाता है. देश कि आजादी के लिए संघर्ष करते हुए Mahatma Gandhi ने भी इसी प्रकार का Message दिया था कि यदि देश के सभी लोग Self-dependent हो जाएँगे तो उनका आत्मविश्वास बढेगा और उन्हें Struggle करते हुए आगे बढ़ने में कोई भी भय (Fear) प्रतीत नहीं होगा.

जो लोग Self-dependent नहीं होते हैं, वह उस पतले सरकंडे के समान होते हैं जो हवा के मामूली झोंके पर ही लचक उठता है. आप Self-Confidence रखते हुए Self-dependent हो जाएँ, तो अन्य सभी नेमतें उसके पीछे स्वतः ही चली आएँगी. याद रखें कि आप Self-dependent नहीं हैं तो आपकी Countless Abilities भी किसी काम की नहीं रहेंगी और आप लोगों के लिए एक Unsuccessful और नाकारा व्यक्तियों की List में ही तुम्हारी Counting होंगी. निम्नलिखित Hindi Motivational Story से आप समझ सकते हैं कि मनुष्य अपने Self-Confidence को बनाए रखकर क्या कुछ नहीं कर सकता:

एक सेठ के दुकान के Storeroom में आग लग गई. सेठ के सभी नौकर, सैकड़ों नगर-मोहल्ले वासी आग बुझाने में Unsuccessful रहे और सारी कमाई हुई Properties Destroy हो गई. सब कुछ जल जाने के बाद लोगों ने सेठ के पास जाकर दुःख प्रकट किया और सांत्वना (Consolation) दी, “आपकी विपत्ति (Adversity) से हम दुखी हैं. आपकी Whole-Life कि कमाई पलभर में Destroy हो गई.” सेठ मुस्कुराए, ऑंखें बंद करके उपरवाले का स्मरण किया. उन्होंने लोगों से कहा कि, “यह जो खो गया, वह फिर देगा, कृपा करेगा. जरुर मुझसे अनजाने में कोई Mistake हो गई होगी तभी यह Accident हुई. वह सब मेरे Life की असली कमाई नहीं थी. असली कमाई तो वह है जो मेरे पास है और उसी के बल से मैं पुनः सबकुछ अर्जित कर लूँगा. इस Properties के Destroy होने से जब मुझे ही कोई दुःख नहीं है तो फिर आपलोग क्यों दुखी हैं? सभी सेठ को आश्चर्य भरी नजरों से देखते रह गए. उनकी आँखों में एक ही प्रश्न था, “सेठ, क्या है आपकी असली कमाई जिस पर आप शांत हैं, अविचलित हैं और अपने आपको Encourage किए हुए हैं.” “मेरी असली कमाई है उपरवाले में Faith (Loyalty) और अपने Struggle करने पर Confidence है. आग में यह सब तो नहीं जला न और यह विपत्ति में भी मैं यह बात नहीं भूला सकता हूँ, जिससे मैंने कमाई की थी और आगे भी करूँगा. मैं विनय नहीं छोडूंगा नहीं तो लोगों की सहानुभूति (Sympathy), Support एवम् Guidance नहीं मिलेगी. अंतः विपत्ति के समय मनुष्य को Patience नहीं छोड़ना चाहिए और इसी के बल पर कोई Lost Property ही नहीं सब कुछ प्राप्त कर सकता है.”




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Friday 25 December 2015

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Effective Time Utilization सदुपयोगी समय in Hindi

खोया हुआ वक्त जहाँ पछतावे के सिवा कुछ नहीं देता है, वहीँ वक्त का किया गया Utilization अनेक अवसर आपको प्रदान करता है. यदि Childhood में आपने समय का सही उपयोग Education प्राप्त करने में किया होता है तो Adolescence (Teenage) में आपके उज्जवल Career के कई रास्ते पैदा हो जाते है. Teenage में भी Time को Utilization कर लिया जाए तो फिर Lifetime के लिए आप सुखी रह सकते हैं. नीचे लिखे Motivational Story का अवलोकन निश्चित ही आपकी प्रेरणा बनेगी:

किसी महापुरुष ने कहा है कि, जिस प्रकार Gold का प्रत्येक कण मूल्यवान (Precious) होता है उसी प्रकार समय का प्रत्येक क्षण भी Valuable होता है, इसलिए Time का Utilization समय को बचाने के सामान है. जो इसे बचाता है और इसका सदुपयोग करता है Success अपने आप उसके कदम चूमती है. Dr. Bhim Rao Ambedkar, London में अपनी Study कर रहे थे. London में उनके Classmate Asnadekar थे और वे दोनों एक ही Room में रहते थे. हर समय पढाई-लिखाई (Studies) में डूबे रहने वाले डॉ. भीमराव आंबेडकर को देखकर Asnadekar बहुत हैरान रहते थे. एक दिन आधी रात को अचानक उनकी नींद टूट गई. उन्होंने देखा कि बत्ती जाल रही है और Dr. Bhim Rao Ambedkar, Study में लगे हुए हैं. उन्होंने पूछा, “आप और कितनी देर पढेंगे? बहुत Time हो गया है, अब सो जाइए.” Dr. Bhim Rao Ambedkar ने Serious Voice में Answer दिया, “Asnadekar साहब मेरे पास खाने के लिए पैसा और सोने के लिए समय है कहाँ? मुझे तो एक-एक क्षण का Utilization करना है. मैं इसे नष्ट करने कि स्थिति में हूँ ही नहीं.” यह कहकर वे पढाई में फिर से तल्लीन (Engrossed) हो गए.

प्रत्येक महापुरुष का Life यही बताता है कि उसने Time का कभी भी निरादर (Disgrace) नहीं किया. यही कारण है कि उन्होंने Life में यश (Fame) औए सफलताएँ (Successes) अर्जित कीं. निरंतर कर्म (Continuous Work) करते रहें और प्रयासों को High Quality का भी बनाते रहें. Starting में आप Failure हो सकते हैं लेकिन अंततः आप Success अवश्य होंगे और समय के साथ किया गया आपका Justice आपके ही हक में प्रत्येक Decision को Protect करेगा.



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Debate Against Media In Hindi

Western Electronic Kingdom ने विस्मयकारी (Amazing) पहुँच प्राप्त कर ली है. Globalization ने इसे विचारधारा के मंच पर ज़ोर दिखाने के लिए बहुत सी मांसपेशियां उपलब्ध करा दी हैं. इसने Satellite और Cable तकनीक से Accelerated International पहुँच प्राप्त कर ली है. पशि्चमी और विशेष रूप से Anglo-American Media ने World Online सेवाओं, Radio और Newspaper और Magazines पर प्रभुत्व प्राप्त कर लिया है. Western Electronic साम्राज्यों के विस्तार के साथ Western Media ने Satellite और Cable तकनीक द्वारा International Market प्राप्त कर ली है.

International Television News का बड़ा भाग Western News संगठनों के द्वारा फैलाया जाता है. इसमें Television News Agency जैसे Right Television, The World Wide Television News और A.P.T.V तथा Satellite और Cable आधारित संगठन जैसे CNN., SKY और B.B.C. World सेवा, इन दोनों प्रकार कि सेवाएँ अपनी विभिन्न Languages पर आधारित सेवाओं के साथ विश्व वायु तरंगों पर छायी हुई हैं.

World की चार News Agency: Associated Press, United Press International, Writers और Agency France Press में से पहली तीन American और British agencies हैं और उनमें चारों World News का लगभग 80% उपलब्ध कराती हैं. Worldwide Employees का जाल रखने के बावजूद ये कंपनियां जानबूझ या अनजाने में, पशि्चमी और विशेष रूप से American और British News एजेंडा रखती है.

इसके अतिरिक्त, India के English Language के सभी बड़े Newspaper और समाचार पत्रिकाएँ Syndicate व्यवस्था का लाभ उठाकर लगातार गर्वपूर्वक पशि्चमी समाचार पत्रों और पत्रिकाओं से टिप्पणियाँ और Feature छापते रहते हैं. इस प्रकार Western News Organization पशि्चमी हितों को ध्यान में रखते हुए International News एजेंडा तय करने और उन्हें आयोजित करने में बहुत प्रभावकारी होते हैं. यहाँ तक कि स्थानीय समाचार पत्रों को भी बड़े समाचार बाँटने वालों द्वारा अनुवाद की हुई सामग्री पर भरोसा करना होता है और इस तरह वह घरेलू समाचार के उपभोगताओं तक अपना प्रभाव फैला देते हैं. ऐसा केवल India में ही नहीं हो रहा है. पुरे Developing World को वही सब कुछ देखना पड़ता है जो प्रभुत्वशाली पशि्चम दिखाना चाहता है.

बहुत से Indian Newspaper पशि्चमी मुहावरों, उनकी भाषा, समाचार और मूल्यों को अपनाते हैं और उनकी Copy करते हैं.

इस्लामी आतंकवाद (Islamic Terrorism) कि शब्दावली Western News Media ने गढ़ी है. पशि्चमी हितों के प्रति झुकाव रखने के कारण Indian Media में इसकी गूंज सुनायी पड़ती है. हालाँकि केवल यह कह देना कि इस्लाम Terrorism का न तो प्रचार करता है न बढ़ावा देता है, इसे रोकने के लिए पर्याप्त नहीं. कुछ Terrorist अवश्य Islam के पर्दे में शरण लेते हैं और America की ओर झुकाव रखने वाली Media के लिए एक बहाना उपलब्ध कराते हैं ताकि जिहाद (Jihad) को Terrorism का समानार्थी (Synonyms) बताया जा सके.

फिलिस्तीनी (Palestine) क्षेत्रों पर इस्राइल (Israel) का कब्ज़ा और इस्राइल द्वारा संयुक्त राष्ट्र (United State) के प्रस्तावों का लगातार उल्लंघन और America द्वारा मध्य पूर्व में ऊर्जा के स्रोतों पर अधिकार प्राप्त करने के लिए खुनी खेल कुछ समूहों को हथियार (Weapon) उठाने के लिए प्रेरित करता है. मध्य-पूर्व में होने वाली घटनाओं का समाचार लिखने में Western News Media दोहरे मानदंड अपनाते हैं. इस्राइल द्वारा फिलिस्तीनी क्षेत्रों के कब्जे की अनदेखी की जाती है जबकि फिलिस्तीनी मुसलमानों द्वारा इस हमले का विरोध करना Islamic Terrorism बतलाया जाता है. यह कहने की आवश्यकता नहीं कि विभन्न कौमों द्वारा किए गए अपराधों के बारे में निर्णय करने के लिए समाचार माध्यमों के स्वामी अलग मानदंड रखते हैं.

ये सभी चीजें Islam और Muslim के साथ का शब्द जोड़ने में विशेष हितों कि ओर इशारा करते हैं. आतंकवाद और आतंकवादियों के मामले में इतना अधिक दोहरा मानदंड अपनाने के पीछे कोई न कोई षड्यंत्र अवश्य होगा क्योंकि सिर्फ इस्लाम और मुसलमानों को ही ऐसे Activities को इस्लाम से जोड़ने की आवश्यकता नहीं है जिस प्रकार Sri Lanka के Hindu Terrorists के Activities के लिए हिन्दुओं को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता. लेकिन Media का यह असंतुलन विकसित Western Countries को कुछ ऐसे लोगों पर Terrorist का आरोप लगाने का अधिकार दे देता है जिनके पास Media नहीं है.

Salman Rushdi ने Islam को अपमानित करने का जो प्रयास किया है उससे मुसलमानों को दुःख होता हो लेकिन Western News Media के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बहाने सलमान रुश्दी का बचाव करना आवश्यक है. Western Countries सलमान रुश्दी का बचाव करते हैं, लेकिन Holocaust का इंकार करने पर David Irwin को जेल भेज देते हैं. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की यह कैसी विडंबना है. United States Of America के अन्दर इस्राइल और उनकी नीतियों कि आलोचना करना लगभग असंभव है. इस तरह के प्रयास करने वाले सभी लोगों के विरुद्ध सामवाद Anti Law के अंतर्गत मुकद्दमा चलाया जाता है. इससे एक बात स्पष्ट है कि Western Countries और Western News Media को भी कुछ विश्वासों कि हर कीमत पर रक्षा करनी होती है.


Related Post: TERRORISM HAS NO RELIGION In Hindi (आतंकवाद)



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Thursday 24 December 2015

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Happy in Sadness in Hindi Motivatinal Story

Remember that की दुनियाँ Smiling Person के साथ Smile तो कर सकती है But रोते हुए (Crying) Person के साथ रो नहीं सकती है. Smile से भरा Face सबको पसंद आता है. आपकी Smile से Problems के कई “Close Door” Open हो सकते हैं. रोती हुई Face रख कर कर आप किसी को भी Impress नहीं कर सकते हैं. बेशक Life में हजार गम हैं, हजार Problems हैं, लेकिन उनका Face - Off Happiness के साथ भी किया जा सकता है. समाजिक बात-चीत करते समय Smile भरे चेहरे को बहुमूल्य ही समझें. आपके Life में भी ऐसे Smiling Face होंगे, जिनसे मिलते ही आप खिल उठते होंगे. यही होता है हँसमुख व्यक्ति का कमाल. यदि आप संतोष (Satisfaction) के धन को पा लेते हैं, तो आप भी Always Happy रह सकते हैं. निचे लिखी Motivational Story भी यही सन्देश प्रदान करती है:

बहुत समय पहले कि बात है. किसी राज्य में चित्रसेन नाम के राजा थे. राजा चित्रसेन योग्य (Eligible) और गुनी व्यक्तियों का Respect करते थे, पर वे बगैर किसी Reason के ही क्रोधित (Angry) भी हो उठते थे और फिर उन्हें कुछ भी नहीं सूझता था, जो मन में आता वही करते. एक दिन वे किसी गहरी सोच में व्यस्त थे. उन्होंने देखा कि ऐसे दुविधाओं में भी प्रधानमंत्री (Prime Minister) जयभद्र Smile कर रहे थे. उन्होंने Indirectly इसके लिए Alert भी किया, पर जयभद्र के होठों से वह मुस्कान तब भी लुप्त न हो सकी. चित्रसेन के चाटुकार (Spaniel) और जयभद्र के विरोधी दरबारियों के हाथ यह एक अच्छा अवसर लग गया. उन्होंने राजा से कहा , “महाराज जयभद्र को आपने बहुत सिर चढ़ा लिया है. अब उन्हें अपनी Limit का भी कोई ध्यान नहीं है.” चित्रसेन अपने स्वभाव से Helpless थे, उन्होंने जयभद्र को Punished करने के लिए उन्हें Prime Minister Post से हटा कर एक Junior Minister बना दिया. जयभद्र अगले दिन दरबार में आकर Junior Minister की Chair पर बैठ गए. किन्तु चित्रसेन की आशा के विपरीत उस Time भी उनके होठों पर वही मुस्कान दिखाई दे रही थी. चित्रसेन चाटुकारों कि बात सही लगी. उन्होंने उसी समय उन्हें Junior Minister Post से भी हटाकर एक Departmental Officer बनाए जाने का फरमान जारी कर दिया. किन्तु चित्रसेन ने फिर भी जयभद्र के होठों पर वही मुस्कान देखी.

राजा चित्रसेन ने जयभद्र से पूछा तो उन्होंने कहा, “राजन, Respect को मैंने कभी अपना अधिकार नहीं माना. सुख और दुःख को मैं समभाव (Same) रूप से देखता हूँ. आपने मुझे जो Post दिया था वह Public Service के लिए था, उसे मैंने कभी भी अपना नहीं समझा, फिर उसके रहने नहीं रहने से क्या फर्क पड़ता है. मैं तो अपनी नमक-रोटी से Satisfied हूँ. वह मुझे आपकी कृपा (Mercy) से आज भी मुझे मिल रही है, फिर भला मैं क्यों न मुस्कराऊं?” चित्रसेन ने जयभद्र को अपने सिने से लगा लिया और बोले, “जयभद्र मैं Angry Man अवश्य हूँ, पर इतना मुर्ख नहीं हूँ कि चाटुकारों की बातों में आ जाऊं. मैंने जो कुछ भी किया अपनी आँखे खोलने के लिए किया.” जयभद्र को पुनः Prime Minister Post पर सुशोभित कर दिया गया.

लेकिन यह अवश्य है कि दुसरे के दुःख में आप नहीं मुस्करा सकते हैं और तब आपको सांत्वना ही देनी होती है. मुस्कान भरे चेहरे वाले जब तसल्ली देते हैं तो सभी लोग रहत भी महसूस करते हैं. 


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Thursday 3 December 2015

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TERRORISM HAS NO RELIGION In Hindi (आतंकवाद)

मुसलमान आतंकवादी नहीं हैं और आतंकवादी मुसलमान नहीं हैं.
World के History में, कौन सबसे ज्यादा मासूम लोगों को मार डाला:-
1) "HITLER"
क्या आपको पता है वह कौन था?
वह एक Christian था, लेकिन Media वालों ने उसे कभी भी Christians Terrorists नहीं कहा.

2) "JOSEPH STALIN” जिन्हें लोग “Uncle Joe" के नाम से भी जानते हैं.

उसने 20 Million निर्दोष लोगों को मार डाला था जिनमे से 14.5 Million लोग भूखे थे.
क्या वह मुसलमान था? बिल्कुल नहीं !!!

3) "MAO TSE TSUNG (China)" 

उसने 14 से 20 Million निर्दोष लोगों को मार डाला था. 
क्या वह मुसलमान था?

4) "BENITO MUSSOLINI (Italy)"

उसने 400 हजार निर्दोष लोगों को मार डाला था.
क्या वह मुसलमान था?

5) " Ashok" 

कलिंग युद्ध में उसने 100 हजार निर्दोष लोगों को मार डाला था.
क्या वह मुसलमान था?

6) George Bush 

उसके द्वारा IRAQ में घाटबंधी (Embargo) डाला गया था उसने अकेले 1/2 Million Children को IRAQ में मार दिया था !!!

कल्पना कीजिए कि इन लोगों को Media द्वारा कभी भी आतंकवादी नहीं बुलाया जाता है.

क्यों???

आज बहुत से गैर-मुसलमानों को "JIHAAD" शब्द सुनने से ही डर लगने लगता हैं. “JIHAAD” एक Arabic Word है, जिसका स्रोत “JAHADA” है. जिसका Meaning प्रयास करना, संघर्ष करना "To Strive" या "To Struggle" बुराई के विरुद्ध न्याय के लिए लड़ना होता है. इसका यह मतलब नहीं होता है कि निर्दोष लोगों कि हत्या कि जाए.

“JIHAAD” को इस तरह भी Defined किया जा सकता है कि " बुराई के साथ नहीं बल्कि बुराई के खिलाफ खड़ा होना ”

अगर आप अभी भी यह सोचते हैं कि Islam ही Problem है? 

तो जरा गौर से पढ़ें:
1. First World War में, 17 Million लोग मारे गये
(गैर-मुस्लिम के कारण).
2. Second World War में, 50 से 55 Million लोग मारे गये
(गैर-मुस्लिम के कारण).
3. NAGASAKI Atomic Bombs (परमाणु बम) धमाके में 2 लाख लोग मारे गये
(गैर-मुस्लिम के कारण).
4. VIETNAM के युद्ध में 5 Million लोगों का कत्लेआम किया गया 
(गैर-मुस्लिम के कारण)
5. BOSNIA/KOSOVO के युद्ध में 5 लाख से अधिक लोग मारे गये 
(गैर-मुस्लिम के कारण)
6. IRAQ में युद्ध: (अब तक) 1 करोड़ 20 लाख लोगों की मृत्यु
(गैर-मुस्लिम के कारण).
7. AFGHANISTAN, IRAQ, PALESTINE, BURMA इत्यादि देशों में बहुत से मासूम लोगों मरे गये जिनकी कोई गिनती नहीं हो सकती है 
(गैर-मुस्लिम के कारण).
8. Cambodia (1975-1979) में लगभग 3 Million लोगों की मृत्यु हुई थी 
(गैर-मुस्लिम के कारण).

किसी भी धर्म को आतंकवाद से जोड़ कर नहीं देखना चाहिए, बल्कि यह कोशिश होनी चाहिए कि Double Standards Killings System को ही हटा दिया जाए.


“कोई मजहब आतंक फ़ैलाने का सबक नहीं सिखाता
मासूमों को मरना, खून बहाने का सबक नहीं सिखाता
हिंदू हो या मुस्लमान, सिख हो या ईसाई, सब अमन चाहते हैं
कोई मजहब आतंक फ़ैलाने का सबक नहीं सिखाता”



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Tuesday 1 December 2015

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Tipu Sultan एक राष्ट्रप्रेमी Part-2

यह स्पष्ट है कि सच्चाईयों को न देखने वाले इतिहासकार (Historian) एक ऐसी राजनितिक Turf war के व्यापक Situation की अनदेखी कर रहे थे जिसमें friend और enemy की पहचान इस तरह कि जाती थी कि कौन अंग्रेजों के साथ जाता है और कौन साम्राज्यवादी (Imperialistic) अंग्रेज शासकों के चंगुल से स्वतंत्र (Free) रहने के लिए प्रतिबद्ध है. यदि के कुर्गी लोगों और नायरों को दबाने के लिए War आवश्यक था जो Karnataka के नवाबों के Against भी युद्ध लड़े गये जो मुसलमान थे और अंग्रेजों के पिठ्ठू थे. Dr. B. N. Pandey अपनी Book “Aurangzeb And Tipu Sultan: उनकी धार्मिक policies का मुल्यांकन” (Institute of Objective Studies, New Delhi) में लिखते हैं: यदि उसने कूर्ग के हिन्दुओं, मंग्लौर के ईसाईयों और मालाबार के नायरों को कुचला तो यह इस Reality के कारण था कि वे अंग्रेजों के साथ मिलकर Tipu Sultan कि power को कमजोर करना चाहते थे. यदि किसी के अन्दर इस तरह की प्रवृतियाँ महसूस कि चाहे वह मालाबार के मौपिला या महादेवी मुसलमान या सवानूर के नवाब हों या निजाम हैदराबाद हों, उनको भी नहीं बख्शा.

इसलिए Tipu Sultan को चरमपंथी (Extremists) कहना बहुत अधिक गलत है. उनकी कठोरता उन लोगों के प्रति थी जिन्होंने तख्ता पलट करने के लिए अंग्रेजों का साथ दिया, और इस तरह उनकी कठोरता धर्म से Inspired होने के बजाए Politics से Inspired थी.

यदि ऐसा न होता तो Mahatma Gandhi ने Tipu Sultan की प्रशंसा के पुल इस तरह न बंधे होते, “वह हिन्दू-मुस्लिम एकता के प्रतिक थे” (Tipu Sultan was a symbol of Hindu-Muslim unity). History को तोड़ने मरोड़ने का एक प्रमुख मामला Dr. B. N. Pandey ने उठाया जो उस समय Orissa के Governor थे. जब उन्होंने कूर्ग में जनता के नरसंहार (Carnage) का उल्लेख पाया तो उन्होंने Mysore Gazetteer से Reference ढूँढना चाहा.

Dr. Pandey का सामना एक History कि Textbook से हुआ जो Allahabad के Eyglo-Bengali College में पढाई जाती थी जिसमें यह Claim किया गया था कि “तीन हजार ब्राह्मणों ने इसलिए Suicide की कि Tipu Sultan बलपूर्वक उन्हें इस्लाम धर्म में ले लाना चाहते थे. इस पुस्तक के लेखक Kolkata University के संस्कृत विभाग के HOD और बहुत प्रसिद्ध विद्वान Dr. Hari Prasad Shastri थे.

Dr. Pandey ने इस Book के Author Dr. Shastri को तुरंत एक Letter लिखा और पूछा कि ये Example उन्हें जिन Source से मिले हैं उनका Reference दें. कई बार याददिहानी करने के बाद Dr. Shastri ने उत्तर दिया कि उन्होंने यह जानकारी Mysore Gazetteer से प्राप्त किया है. इसलिए Dr. Pandey ने उस समय Mysore University के Vice Chancellor Sir Vijender Nath Seal से अनुरोध किया कि उनके लिए Dr. Shastri के कथन की Gazetteer से Confirm करा दें. Sir Vijender ने उनके Letter को Pro. Srikantyya के पास भेजा जो Gazetteer के नए Edition पर काम कर रहे थे. Srikantyya ने Letter लिखकर बताया कि ऐसी किसी घटना का वर्णन नहीं है और एक Historian के रूप में वह आश्वस्त हैं कि इस तरह की कोई घटना घटित नहीं हुई थी. Pro. Srikantyya ने यह भी कहा कि उस समय Tipu Sultan के Prime Minister और Chief Commander दोनों ब्राह्मण थे. उन्होंने 156 मंदिरों कि एक सूची भी संग्लन की जो Tipu Sultan के राजकोष से Annual Funding प्राप्त किया करते थे. Tipu Sultan द्वारा Donation किये हुए एक शिव-लिंग कि पूजा आज भी नानजंगूड़ मंदिर में की जा रही है. श्री रंगापटनम का रंगनाथ मंदिर Tipu Sultan के Palace से काफी निकट था जहाँ से वह मंदिर के घंटे और मस्जिद कि अजानों को समान सम्मान के साथ सुनते थे. (Impact International, London, point 28, July 1998)

बाद में Research से यह मालूम हुआ कि Shastri ने ब्राह्मणों की Suicide की इस कहानी को Kernel Miles की book History of the Mysore से लिया था जिसमे Miles ने यह Claim किया था कि उन्होंने इस book को एक फारसी पाण्डुलिपि से लिया है जो Queen Victoria कि Personal Library में मौजूद है. जब Dr. Pandey ने इसकी भी जाँच की तो उनको पता चला कि Queen Victoria कि Library में ऐसी कोई पाण्डुलिपि मौजूद नहीं. इसके बावजूद Dr. Shastri कि किताब High School कि History कि Textbook के रूप में सात राज्यों Assam, Bengal, Bihar, Orissa, Uttar Pradesh, Rajasthan और Madhya Pradesh में पढाई जा रही थी. इसलिए उन्होंने इस Textbook के बारे में अपने द्वारा किए गये All Communications को Kolkata University के Vice Chancellor Sir Ashutosh Chowdhry के पास भेजा. Sir Ashutosh ने तुरंत Shastri की किताब को Course से निकालने का आदेश दे दिया. इसके बावजूद कई वर्षों बाद सन् 1972 में Dr. Pandey को यह जानकर आश्चर्य हुआ कि Suicide की यही कहानी अब भी Uttar Pradesh के Junior High School की History की book में पढाई जा रही थी. एक झूठ को History कि सच्चाई के रूप में Approval हो गई.

Tipu Sultan द्वारा मंदिरों को दी जाने वाली जागीरों और उपहारों कि संख्या इतनी है कि उनके विस्तार के लिए कई खण्डों कि आवश्यकता होगी. श्रृंगेरी में स्थित प्रसिद्ध मंदिर के अवशेषों से पिछले दशक के दौरान जो Document प्राप्त हुए हैं वह बताते हैं कि Tipu Sultan को यह जानकर बहुत दुःख हुआ कि पेशवा की सेनाओं ने एक मंदिर पर Attack किया था और उन्होंने उस पवित्र स्थान पर मूर्ति का जीर्णोधार “सल्तनत-ए-खुदादाद” के राजकोष से किया. उन्होंने Tamil Nadu के Kanjivaram में एक मंदिर के निर्माण के लिए 10,000 हून नक़द दिया और जब मंदिर बन कर तैयार हो गया तो उसकी रथ यात्रा में भाग लिया. उन्होंने Milcot के दो Communities के बीच Debate का Solution किया और दोनों Side के लोगों ने उनके Judgment को final decision के रूप में Accept किया. डिंडीगल के एक अभियान के अवसर पर उन्होंने आदेश दिया कि South की ओर से गोली न चलायी जाए इसलिए कि राजा का मंदिर वहाँ स्थित था. प्राचीन कन्नड़ साहित्य Tipu Sultan की प्रशंसाओं से भरा हुआ है और इन प्रशंसाओं का प्रदर्शन सीवी (Karnataka के Bangalore जिले में) में स्थित प्रसिद्ध मंदिर कि छत पर मौजूद लेखों में भी हुआ है. Tipu Sultan की प्रशंसा करने वाले आल्हे आज भी प्राचीन Mysore राज्य के देहाती क्षेत्रों में गाए जाते हैं. यह एक सच्चाई है कि मंदिर की छतों पर लिखे गये लेख इस बहादुर शासक की शहादत के 50 वर्ष बाद लिखे गये थे. इससे इस बात की पुष्टि होती है कि जनता के अन्दर मृत्यु के बहुत बाद भी इस शासक के प्रति कितना आदर-सम्मान था. यदि एक शासक से उनकी हिन्दू प्रजा घृणा करती तो उसे यह सम्मान न मिलता कि जनाज़े के समय खून से लथपथ उसके शव के सामने लोग सजदे कर रहे थे. लेकिन History के विवरण बताते हैं कि जिस समय विजेता ब्रिटिश सैनिक श्रीरंगापटनम में स्थित घरों को लूट रहे थे, उनकी हिन्दू प्रजा उसके महल के सामने उसके शव को शोक और विलाप के बीच सजदा करने के लिए कतार लगाए खड़ी थी. (बिस्टन, 1880 इसका उल्लेख मुहम्मद मुइनुद्दीन ने किया है, सन सेट ऐट श्रीरंगापटनम, Orient Logman, 2000) ऐसी आशा उस प्रजा से नहीं की जा सकती जिसका शासक कट्टर अत्याचारी हो.



                                                        “जो लड़ा था सिपाहियों की तरह

                                                      ऐसा भारत में कोई बादशाह न हुआ

                                                         रूह तो हो गई थी तन से जुदा

                                                          हाथ तलवार से जुदा न हुआ”
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